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Sunday, March 17, 2024

लोगों का हुनर







  ये जो यहाँ लोग खुश दिखाई देते हैं ना,, 

लोगों का हुनर हैं.. हकीकत नहीं..!!

 

ज़िंदगी हमें अपने अनेक रंगों से अभिभूत कराती है। कही धूप छांव , खुशियां और गम यह जीवन के विभिन्न पहलू हैं। अपने आसपास से गुजरते हुए जिंदगी के बहुत से  रंगों से हम मुखातिब होते है। जिसमें बहुत सी कहानियां छुपी रहती हैं। एक संवेदनशील मन उनको समझ एवम  पढ़ भी लेता है। पर कुछ लोग एक भटके हुए राही की तरह रास्ता तय करते है, जैसे कुछ समझ ही हो। 

 

  इन्ही तानो बानो को बुनकर तथा चुनकर हम अपने  जीवन की  एक कहानी अपनों के साथ बनाते हैं।    कुछ लोग जिंदगी के पन्नों  में बस जाते है। उनके नही रहने पर कितनी शून्यता घर  कर   जाती है।

            





ये पंक्तियां आज के दौर की बेबाकी से चित्रण करती है। पिछले कुछ वक्त से जिंदगी जार जार हो गई है।  कभी अपनों से बिछड़ने का गम या कभी अपनों के दुःख से आहत होना , यह लाचारी दिल के दर्द को बयां करती है। कितनी मर्माहत एक बहन की आवाज होगी ,जब वह अपने पति को खोने के बाद अपने बड़े भाई से रुवासी आवाज में बोलती है कि पूछती  है कि  श्मशान घाट में  सबकुछ  अच्छे से हो गया  भाई  ने कहा  कि  हाँ। अब हम घर में तीन के बजाय सिर्फ दो सदस्य ( उसका बेटा और वोबचे हैं न। यह बेबसी जिन्दगी भर मुझे झकझोरेगी।

बेबी---सब काम शमशान घाट पर हो गया। 

 

सुनील----मैंने कहा , हां 

 

बेबी--मतलब हम और दीपू ही अब बचे।

 

 बहुत ही मार्मिक परिदृश्य हृदय को झकझोर गई। जिंदगी  भर यह बात मुझे झकझोरेगी। कितना  शून्यता  सिर्फ एक व्यक्ति के नहीं रहने से घर में  हो जाती है।



यह हुनर नहीं तो और क्या है। जहां लोग गमों को समेटे आज के हालात से समझौता कर रहें हैं। लोगो के पास बस यादें ही सिमट कर रह गई हैं। 

 


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